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खरवार होने का दर्जा नही दिया ।

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👉उत्तर प्रदेश सरकार ने खरवार जाती को जिन जिलों में           मान्यता दे रखी है उनके नाम नीचे देख सकते हैं । 👉और जिस जिले में आप हो अगर उस जिले का नाम नही है  तो  समझो सरकार ने आपको खरवार होने का दर्जा नही दिया ।

खरवार -कभी थे सरकार, अब मांग रहे अधिकार

रोहतास पर राज करने वाले खरवार-चेरो राजाओं का इतिहास, उनकी सभ्यता व संस्कृति काफी समृद्ध रही है। नायक प्रताप धवल, बिक्रम धवल से लेकर उदयचंद ने यहां राज किया। आज उन्हीं के वंशज दाने-दाने को मोहताज होकर अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। अशिक्षा, लाचारी, भूख व बेबसी से त्रस्त अधिकांश आदिवासी एकजुट होने की रणनीति बना रहे हैं। शाहाबाद गजेटियर में रोहतास क्षेत्र के आदिम जनजातियों में प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक एवं बौद्धिक क्रांति की बात मिलती है। आदिम जनजातियों में खरवार, शबर, भर व चेरो प्रमुख थे। खरवारों का आधिपत्य सासाराम, रोहतासगढ़, भुरकुड़ा [शेरगढ़], गुप्ताधाम सहित सम्पूर्ण पहाड़ी पर था। चेरो राजाओं के आधिपत्य वाले क्षेत्र में देव मार्कण्डेय, चकई, तुलसीपुर, रामगढ़वा, जोगीबार, भैरिया और घोषिया, जारन-तारन रहा।12-13वीं सदी में गहड़वाल शासन के अंतर्गत ख्यारवाला वंश [खरवार] का शासन आया। 19 अप्रैल 1158 ई. को तुतला भवानी [तुतराही] में इसी वंश के महानायक प्रताप धवल देव जपिलिया ने पहला शिलालेख तुतला भवानी मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर लगाया। इसमें अपने राज परिवार के साथजपला से रोहतास तक नायक ...

खरवार एक परिचय

खरवार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और छत्तीसगढ़ के भारतीय राज्यों में पाए जाने वाले एक समुदाय है। HIstory खरवार में विभिन्न व्युत्पन्न मूल हैं कुछ लोग पालमू जिले का पता लगा सकते हैं, जो अब झारखंड राज्य में हैं, जबकि अन्य सोोन व्हॅली में रहते हैं। उत्तर प्रदेश के उन लोगों का दावा है कि वे रोहतास [निःसंदिग्ध आवश्यकता] से आए हैं और पौराणिक सूर्यवंशी वंश से उतरते हैं, [1] खुद को "खरागवंशी" कहते हैं। [उद्धरण वांछित] समुदाय के कुछ सदस्यों का दावा है कि उनके पूर्वजों को जमीनदार (जमींदारों) ), और रामगढ़ के राजा समुदाय के थे। [उद्धरण वांछित] खरवार की प्राथमिक पारंपरिक आर्थिक गतिविधि कृषि रही है लेकिन एक वार्षिक फसल पर उनकी निर्भरता और उचित मौसम पर इसका मतलब है कि वर्ष के एक हिस्से के लिए खुद को बनाए रखने के लिए यह काफी मुश्किल है। इस प्रकार, वे वन गतिविधियों, पशुधन, मछली पकड़ने, शिकार और फँसाने पर आधारित काम में भी शामिल हैं। [1] उत्तर प्रदेश सरकार ने खारवार को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया था लेकिन समुदाय के सदस्...